जयपुर में कर्नल आशुतोष को बड़े भाई और पत्नी ने मुखाग्नि दी; पंचकूला में मेजर अनुज के पिता ने अंतिम संस्कार किया

कर्नल आशुतोष शर्मा का मंगलवार को जयपुर में अंतिम संस्कार किया गया। उन्हें पत्नी पल्लवी और बड़े भाई पीयूष ने मुखाग्नि दी। मुखाग्नि देते समय पत्नी के चेहरे पर गर्व की मुस्कान थी। इससे पहले कर्नल आशुतोष को मिलिट्री स्टेशन में श्रद्धांजलि दी गई, जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी शामिल हुए। वहीं, पंचकूला में मेजर अनुज सूद को उनके पिता सीके सूद ने मुखाग्नि दी।



कर्नल आशुतोष को सैल्यूट करतीं पत्नी पल्लवी।


उधर, चंडीगढ़ में मेजर अनुज सूद की पार्थिव देह को आर्मी हॉस्पिटल से उनके पंचकूला स्थित घर ले जाया गया था। वहां पत्नी आकृति बिलख पड़ीं। ताबूत में शव को काफी देर तक टकटकी लगा कर देखती रहीं। अनुज की मां भी ताबूत के पास काफी देर तक बैठी रहीं। शहीद की बहन हर्षिता सेना में कैप्टन हैं, वे भी घर पहुंचीं। उन्होंने कभी अपनी मां को तो कभी भाभी को संभाला।



कैप्टन अनुज को नम आंखों से विदाई देतीं पत्नी आकृति।


2 मई को शहीद हुए थे


आशुतोष 21 राष्ट्रीय राइफल्स में कमांडिंग अफसर थे। कश्मीर के हंदवाड़ा में घर में छिपे आतंकियों की सूचना मिलने पर आशुतोष ने घेराबंदी की। 18 घंटे चली मुठभेड़ में वे अपने चार अन्य साथियों समेत 2 मई को शहीद हो गए थे।


गर्व की मुस्कान



सेना के अधिकारियों ने आशुतोष का सामान और वर्दी पत्नी को सौंपी थी। इस दौरान पल्लवी और बेटी तमन्ना के चेहरे पर गर्व की मुस्कान थी।


शहीद का पार्थिव शरीर सोमवार को जयपुर पहुंचा तो हर आंख भर आईं, गले रुंध गए। सेना के अधिकारियों ने आशुतोष का सामान और वर्दी पत्नी पल्लवी को दी। आशुतोष की यादों में गुंथे बड़े भाई पीयूष ने बताया कि उसका तो पहला प्यार वर्दी थी। एक ही धुन कि कंधे पर सितारे पहनना है। ग्रेजुएशन के बाद सेना में गए। आशु कहता था कि आईपीएस बनकर समाज के लिए बहुत कुछ करना है। वे तो बेटी को भी आईपीएस बनने के लिए प्रेरित करते थे। आशु तो तैयारी भी करा रहा था, लेकिन जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी के कारण मौका नहीं मिल पाया। आशु के सपने को पूरा करना हम सबकी जिम्मेदारी है। बेटी तमन्ना को आईपीएस बनाएंगे।